Not known Details About Shiv chaisa

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

There is absolutely no a person as generous when you, Your devotees normally praise and serve you. The Vedas sing your divine glory, The unfathomable and timeless strategies are further than comprehension.

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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

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अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान more info भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।

माता-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

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श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ

कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा shiv chalisa in hindi सकता है।

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